कहानी हिटलर की



कहानी हिटलर की
दुनिया के सबसे बड़े तानासाह के तौर पर यदि किसी का नाम इतिहास में आता है तो वो है हिटलर यानि अडोल्फ़ हिटलर | एक ऐसा जाना माना नाम जो यहूदियों के लिए किसी मौत के फरमान से कम नही था | कहा जाता है की हिटलर के ऊपर कई तरह के इलजाम है जिसमे अधिकतम तो क़त्ल के ही है हिटलर ने लाखो लोगो का खुद कत्लेआम करवाया था और करोडो लोग उसकी तानाशाही और नाजी सोच की बजह से अपनी जान गवाए थे क्योंकी द्वितीय विश्वयुद्ध सिर्फ और सिर्फ हिटलर की बजह से हुआ था जिसमे लगभग 5 करोड़ के आसपास लोग मारे गये थे |

हिटलर की शुरुआत

अडोल्फ हिटलर का जन्म आस्ट्रिया के वॉन नामक स्थान पर 20 अप्रैल 1889 को हुआ था । उनकी प्रारंभिक शिक्षा लिंज नामक स्थान पर हुई। पिता की मृत्यु के पश्चात् 17 वर्ष की अवस्था में वे वियना चले गए । कला विद्यालय में प्रविष्ट होने में असफल होकर वे पोस्टकार्डों पर चित्र बनाकर अपना निर्वाह करने लगे। जब प्रथम विश्वयुद्ध 1914 से शुरू हुआ और 1918 तक चला  और इसमें अलग अलग देश अलग गुट बना कर लड़ रहे थे और इस पहले विश्वयुद्ध में जर्मनी की बुरी तरह हार हुई थी और हार के बाद जब जर्मनी को सरेंडर करना पड़ा था तो  ब्रिटेन फ्रास और उसके जो मित्र देश थे उन्होंने जो प्रथम विश्वयुद्ध में हारे थे उनके ऊपर कई तरह की पाबन्दिया लगा दी गयी कई शर्ते रखी गयी हर्जाने लिए गये एक तो जर्मनी की हार हुई दूसरी तरफ आर्थिक पाबंदिय लग गयी जिसकी बजह से जर्मनी दिन व् दिन कमजोर होता चला गया वहाँ बेरोजगारी भुखमरी बढ़ने लगी यहाँ तक की जो जर्मनी के शासक थे वो भी अब सिर्फ अपने निजी जीवन को सुखमय बनाने की कोशिश करने लगे मतलब की वहा की जनता का हाल बेहाल सा होने लगा था जिससे जर्मनी के लोगो को इस बात को लेकर गुस्सा भी बढ़ने लगा था बस ऐसे ही वक्क्त का लाभ लेने और जर्मनी को मजबूत बनाने के लिए हिटलर ने जो की प्रथम विश्वयुद्ध में एक सैनिक की भूमिका भी निभाया था और कई युद्ध भी जर्मनी की तरफ से लड़ा था उसने अपनी एक पार्टी बनायीं

हिटलर की प्रथम पार्टी
 हिटलर ने जो प्रथम पार्टी बनायीं थी उसका नाम राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन कामगार पार्टी [NSDAP] था इस पार्टी को नाज़ी पार्टी भी कहते है क्युकी नाज़ी सोच लगभग यही से पनपती है नाज़ी सोच का मतलब था की इस पूरे विश्व में जो जर्मन है वो सबसे सर्वश्रेष्ठ है इस लिए उन्हें हक है पूरी दुनिया में हुकूमत करने का और यही से शुरु होती है इक सनक की एक तानाशाह की कहानी | अब हिटलर ने अपनी इस पार्टी के जरिये अपनी नाज़ी सोच का और अपनी महत्वकांक्षाओ का विस्तार करने लग गया कहा जाता है की हिटलर ने अपनी इस पार्टी के गठन के बाद जर्मनी में कई चुनाव भी लड़ा जिसमे बाद में उसे सफलता भी मिलने लगी और वह कई चुनाव जीता भी | प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी की हार की सबसे बड़ी बजह वहां के लोग यहूदियों को मानते थे क्युकी जर्मन में यहूदी बड़ी तादात में रहते थे क्युकी तब तक इजरायिल अस्तित्व में नही आया था बस इसी बात का फायदा उठाकर और इसे मुद्दा बनाकर हिटलर ने राजनीती की शुरुआत की बस फिर क्या था 1933 में जर्मनी में चुनाव हुआ और हिटलर भारी मतों से जीत जाता है और जर्मनी का चांसलर बन जता है यानी की प्रधानमंत्री चूंकि हिटलर इक तानाशाह था इसलिए वो जर्मनी के पार्लियामेंट के बड़े अधिकारियो को बर्खास्त करता है और खुद सारी पावर अपने अधीन रखता है और अपने आप को जर्मनी का सुप्रीम लीडर घोषित कर देता है यहां तक की हिटलर ने अपने आप को जर्मनी का सुप्रीम न्यायधीश तक घोषित कर देता है

हिटलर की तानाशाही की शुरुआत

अब शुरू होती है हिटलर की तानाशाही की शुरुआत, सबसे पहले हिटलर आदेश देता है जर्मनी में की जितने भी यहूदी है वो देश छोड़ के चले जाये अब सारे यहूदियों का देश छोड़ के जाना तो संभव था नही और हिटलर को यहूदी पसंद नही थे,बस फिर शुरू हुआ यहूदियों का कत्लेआम | कहा जाता है की लाखो यहूदियीओ को हिटलर ने मरवा दिया था हिटलर की नज़र में यहूदियों के बाद अगर कोई जर्मनी की प्रथम विश्वयुद्ध में हार की वजह था तो वो है पोलैंड इसलिए अब हिटलर की जो सोच थी वो थी की अब उसे पोलैंड में कव्जा करना है और साथ ही साथ वो अपना शाशन पूरे विश्व में करना चाहता था या कहे की हिटलर की सबसे बड़ी तबाही या फिर उसकी मौत का सबसे बड़ा कारण यही था क्युकी उसका अगला कदम था पोलैंड को अपने कब्जे में लेना |

द्वतीय विश्वयुद्ध की शुरुआत

इटली जर्मनी और जापान ये तीनो ने मिल कर अपना एक गुट बनाया क्युकी यूरोपियन देशो ने अपने अपने गुट बनाये हुए थे इसलिए हिटलर ने भी दो अन्य देशो इटली और जापान से मिल कर अपना एक गुट बनाया तीनो देशो के अलग अलग महत्वकंक्षाये थी तीनो का अलग अलग देशो में कव्जा करने की योजनाये थी एक सितम्बर 1939 को द्वतीय विश्वयुद्ध की शुरुआत होती है क्युकी जर्मनी ने पोलैंड पे हमला किया था इसी दिन और सबसे बडी बात ये थी की पोलैंड और ब्रिटिश के बीच इक समझौता हुआ था की अगर आपके देश में कोई भी समस्या या लडाई होती है तो ब्रिटिश हमेशा आपके साथ खड़ा रहेगा| और ये हुआ भी जब हिटलर ने पोलैंड में चढ़ाई की तो इंग्लैण्ड और फ़्रांस भी हिटलर के विरुद्ध आ गए और पोलैंड का साथ देने और हिटलर को हराने युद्ध में कूद पड़ते है परन्तु तब तक जर्मन पोलैंड में कव्जा कर चूका था इसके बाद हिटलर नर्वे और डेनमार्क में हमला करके इन्हें भी जीत लेता है फिर बेल्जियम होलैंड और फ्रांस में भी चढ़ाई करता है हिटलर और फिर फ्रांस को सरेंडर करना पड़ता है हिटलर के सामने | फ्रांस को जीतने के बाद हिटलर का हौसला काफी बढ़ जाता है अब बारी आती है इंगलैंड की क्युकी पोलैंड का साथ फ्रांस और इंग्लैण्ड ने ही दिया था इसलिए इंग्लैण्ड भी हिटलर का दुश्मन होता है जब हिटलर की सेना ने इंग्लैण्ड पे बमवारी की मतलब इंगलैंड को पूरी तरह से बर्बाद करने की योजना थी परन्तु इंग्लैण्ड अन्य देशो की भाति कमजोर नही था उसकी सेना ने जर्मन सेना का डट के मुकाबला किया और पहली बार हिटलर को इंगलैंड से मुह की खानी पड़ी

हिटलर की ये पहली हार थी उसे इस बात का काफी  दुःख भी था क्युकी विश्व में उसकी इस बात का काफी मजाक भी बनाया गया और कहा जाता है की हिटलर ने इंग्लैंड की भरपाई रूस से करनी चाही इसलिए उसने रूस पे आक्रमण की योजना बनायीं और फिर उसने चढ़ाई की | सोबियत संघ की राजधानी के कुछ हिस्से में हिटलर ने कब्ज़ा भी कर लिया क्युकी रूस को अंदाजा भी नही था की जर्मन सेना उस पर हमला करेगी किसी तरह रूस ने अपनी सेना को लडाई के लिए तैयार किया किसी तरहं रूस में घुसने से पहले ही हिटलर की सेना को रूसी सेना ने घेर लिया और जमकर लडाई हुई और परिणाम ये हुआ की हिटलर की सेना को फिर से हार का सामना करना पड़ा और वापस लौटना पड़ा, और इस तरह इंग्लैंड के बाद रूस में भी हिटलर कव्जा नही कर पाया | इस हार के बाद अन्य देशो को लगाने लगा की हिटलर कोई बड़ी ताकत नही है उसे हराया जा सकता है | फिर क्या सारे देश इकठे हो गए अब उनके निशाने में सिर्फ तीन देश थे इटली जर्मनी और जापान क्युकी ये तीनो देश एक गुट थे | अब रूस और साथी देशो ने मिलकर इटली पर चढ़ाई कर दी और इटली को सरेंडर करना पड़ा | दो जगह से हार मिलने के बाद हिटलर को ये तीसरा और जोरदार झटका लगा, क्युकी इटली जर्मन का साथी देश था जिसकी हार की बजह से कही न कही हिटलर कमजोर पड़ गया था | अमेरिका ने भी जापान में दवाव बनाना शुरू कर दिया 1945 में अमेरिका ने जापान के नगाशाकी और हिरोशिमा में आइटम बम्ब गिरा दिया शयद ये पहली बार नुक्लिअर बम्ब का प्रयोग हुआ था जिससे जापान की हालत ख़राब हो गयी और जापान को सरेंडर करना पड़ा | कुलमिलाकर जर्मन यानि की हिटलर पूरी तरह से कमजोर हो चूका था उसके दोनों समर्थक देश सरेंडर कर चुके थे अब अगला नंबर जर्मन का ही था और ये बात हिटलर भली भाति  जानता था | जब रूसी सेना ने जर्मन की राजधानी बर्लिन में हमला करती है तो इत्तेफाक से हिटलर भी उस समय वर्लिन में ही होता है हिटलर को अंदाजा हो जाता है की अब उसकी हार पक्की है क्युकी सारे देश एकजुट हो चुके है अब हिटलर की सेना परास्त होने लगी और रूसी सेना आगे बढ़ने लगी |


हिटलर के अंतिम पल  


हिटलर ने अपनी जीत का सपना छोड़ एक बंकर बनवाया जमीन से पचास फुट नीचे हिटलर ने उसमे अपने सबसे विश्वासपात्र लोगो के साथ और आर्मी के अफसरों की सुरक्षा में रूसी सेना से बचने के लिए छुप जाता है  हिटलर की सेना वर्लिन में रूसी सेना से हारने लगती है अब जीत की कोई भी उम्मीद शेष नही बचती है | कहा जाता है की हिटलर की हार का सबसे बड़ा कारण उसके कुछ अपने लोग थे जो दुश्मन देशो की जासूसी कर के हिटलर की योजनाओ को बता देते थे जिससे हिटलर की हार हुई और इसकी जानकारी हिटलर को हो चुकी थी इस लिए हिटलर ने अपने वंकर के विषय में कुछ ही लोगो को जानकारी दी थी जो उसके सबसे बड़े विश्वासपात्र थे क्युकी हिटलर जानता था की अब उसके पास सिर्फ दो ही रास्ते बचे है पहला की वो सरेंडर कर दे और दूसरा की वो आत्महत्या कर ले उसे पहला रास्ता कभी मंजूर नही था क्युकी उसे पता था की सरेंडर करने पर दुश्मन उसे बदत्तर मौत देंगे और जो हिटलर ने अपना डर बनाया था वो खत्म हो जायेगा इसलिए वो सरेंडर तो करना ही नही चाहता था भले ही उसे खुद आत्महत्या क्यों न करनी पड़े |
  


हिटलर की प्रेम कहानी

जब हिटलर की पूरी तरह से लगने लगा था की अब बच पाना मुश्किल है क्युकी दुश्मनों ने उसे चारो तरफ से घेर लिया है और किसी भी समय वो इस वंकर तक भी पहुच जायेंगे तो उसने अपनी जिंदगी का इक ऐसा काम जो वो अभी तक पूरा नही कर पाया था उसे करने का मन बनाता है और वो था हिटलर का प्रेम | हिटलर की एक दोस्त थी ईवा जो की काफी समय से हिटलर के साथ थी | हिटलर ईवा को बहुत मानता था बस जिंदगी के जद्दोजहद में वो कभी उससे अपने प्रेम का इकरार भी नही कर पाया था कहने को तो हिटलर एक क्रूर व्यक्तियों में था तानाशाह था पर उसके अन्दर भी एक दिल था जिसमे किसी के लिए प्रेम था हिटलर जैसा क्रूर व्यक्ति को प्रेम की इजाजत मागने की जरूरत भी नही पड़ती क्युकी उससे सब डरते थे परन्तु फिर भी वो इस तरीके से अपने प्रेम को हासिल नही करना चाहता था |
 करीव 29 अप्रेल 1945 को हिटलर वंकर में ही ये तय करता है की वो ईवा से शादी करेगा किसी तरह वो ईवा से अपने प्रेम का इज़हार करता है, ईवा समझ नही पाती है की ये क्या हो रहा है हलाकि कही न कही ईवा भी हिटलर को मानती थी और वो शादी के लिए तैयार हो जाती है अब बात आती है की शादी कौन कराएगा क्युकी वर्लिन में उस समय रसियन बम्ब्वारी चल रही थी | पर हिटलर की भी यही जिद थी या फिर कह सकते है की अंतिम इच्छा थी की वो ईवा से शादी करेगा और पूरे विधान के साथ | अब हिटलर का एक खास आर्मी का अफसर जाता है बंकर के बाहर एक फादर को लेने | चूंकी बाहर बम्बबारी चल रही होती है ,वर्लिन खंडर में बदल रहा था उस स्थिति में भी आर्मी का अफसर बाहर जाकर एक फ़ादर को लेकर शाम को उस वंकर में आता है  जब फादर को पता चलता है की शादी करवानी है तब फादर को याद आता है की वो तो मैरिज़ सर्टिफिकेट ही लाना भूल गया है ,अब बिना उसके शादी कैसे होगी क्युकी हस्ताक्षर उसी में होते है | फिर से खतरा मोल लिया जाता है और दुबारा फिर से वो अफसर फादर को लेकर उसके घर जाता है और मैरिज सर्टिफिकेट लेकर फिर उसी वंकर में आते है | चुनिन्दा लोगो की मौजूदगी में उनकी गवाही में हिटलर और ईवा की शादी होती है शादी होने के बाद एक छोटी सी पार्टी होती है उसी बंकर में | जो उस समय साथ थे उनकी गवाही और बताये अनुसार कहा जाता है की वो कमाँल की पार्टी थी भले ही उस पार्टी में लोग कम थे परन्तु वो एक अजब पार्टी थी क्युकी हिटलर भी जनता था की किसी भी क्षण मरना पड सकता है और ईवा भी इस बात से वाकिफ थी परन्तु दोनों के चहरे में कोई शिकस्त नहीं थी बाहर भले ही बम्बबारी चल रही हो और हिटलर की पराजय पक्की हो फिर भी उस कम समय को वो दोनों साथ रह कर जीना चाहते थे इसी बजह से किसी एक के भी चहरे में शिकस्त नही थी बल्कि एक ख़ुशी थी की मरने से पहले अपने प्यार को ख़ुशी ख़ुशी हासिल कर लिया | कहा जाए तो प्यार से कोई अछुता नही है भले ही वो कितना भी खूंखार क्यों न हो ||

हिटलर का अंतिम सन्देश और मौत



फिर इसके बाद लगभग हिटलर तय कर चूका था की उसे क्या करना है क्युकी उसे मालूम था की अब दुश्मनों से बच पाना मुश्किल है इस लिए वो अपने कमान्डेंट को बुलाता है और पूंछता है की सईनाइड मौत के लिए कितना कारगर होता है मतलब की यदि कोई यक्ति उसको खा लेता है तो क्या उसकी मृत्यु निश्चित है , यह कितना कारगर है | इसको परखने के लिए हिटलर अपनी प्रिय कुतिया को जिसे हिटलर बहुत मानता था उसपे ये टेस्ट किया जाता है सेकंडो में उस डागी की मौत हो जाती है उस कुतिया को वही वंकर में दफना दिया जाता है उसके बाद हिटलर अपने सबसे विश्वासपात्र गार्ड को अपने पास बुलाता है और उसको बताता है की यदि मै मर जाता हु तो तुम पहले मेरे शव को जलाना फिर दफनाना | चुकी हिटलर क्रिचियन था इस लिए गार्ड के लिए ये हैरानी का विषय था की हिटलर ने अपने शरीर को पहले जलाने के लिए क्यों कहा जबकि क्रिचियन में तो शव को दफनाते है  पर ये बात न हिटलर ने बताई की ऐसा क्यों करना है और न गार्ड में इतनी हिम्मत थी की वो पूंछ पाता की पहले जलाना क्यों है  और फिर हिटलर ने एक अंतिम बात अपने गार्ड से बोला की मेरे सारे सामानों को जला देना कुछ भी शेष नही बचना चाहिए मेरे कमरे में रखी सारी चीज़े जो मेरे से जुडी हुई है उस सबको तुम आग लगा देना जला देना हा एक पेंटिंग रखी हुयी है मेरे कमरे में तुम उसे मत छूना क्युकी मैंने अपने ड्राइवर से कह दिया है वो उसे किसी तरह वर्लिन से बाहर ले जायेगा क्युकी वो पेंटिंग काफी खास थी और बहुत बड़े पेंटर ने उसे बनाया था | तीसरी बात हिटलर ये कहता है की कितना भी जरूरी हो कोई मुझे डिस्टर्व न करे और ये कह कर वो अपने कमरे में ईवा के साथ चला जाता है  बाहर उसका गार्ड रोशर्ष मौजूद रहता है जो की बाद में एक किताब भी हिटलर के आखिरी पलो के ऊपर लिखा था | रोशर्ष दरवाजे के बाहर खड़ा था क्युकी जितने भी फोन आते थे उनको पहले वाही उठाता था फिर हिटलर को देता था | अचानक से कमरे से एक फायर की आवाज़ आती है गोली चलने की आवाज़ आती है चूँकि हिटलर बोल के गया था की मुझे कोई भी डिस्टर्ब न करे पर वह दरवाज़ा बंद नही किया था अन्दर से| रोशर्ष के अलावा भी हिटलर के कई विश्वासपात्र लोग देरवाजे के पास आ जाते है थोड़ी देर तक तो वहां एक गहरी ख़ामोशी रहती है बाद में सब मिल के फैसला लेते है की दरवाजे के अन्दर जाकर देखा जाये की क्या हुआ जब अन्दर जाते है देखते है की हिटलर का सर टेवल में पड़ा था और उससे खून निकर रहा था और वही पास में हिटलर की तरफ मुह करके ईवा भी लुढ़की पड़ी थी हिटलर ने अपने सर में गोली मारी थी ईवा के शरीर में कोई भी गोली का निशान नही था और अन्दर से सिर्फ एक ही फायर की आवाज़ आई थी | ईवा ने सईनाइड खाया था  जो वहां पर मौजूद थे  वो बताते थे की उस दिन ईवा ने नीले रंग की ड्रेस पहनी थी जिसमे सफ़ेद रंग की झालरे थी | हिटलर और ईवा मर चुके थे मरने से पहले ही हिटलर ने 200 लीटर पट्रोल अपने भरोसेमंद आदमी से मागवा लिया था और बोला था की मेरे मरने के बाद सारी चीज़े जला देना ऐसा ही किया गया पेट्रोल डाल कर उसका पूरा सामान जलाया गया फिर हिटलर को भी उसी बनकर में पेट्रोल डाल कर जलाया गया उसके बाद वही दफना दिया गया ||||

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