
कोई
उम्मीद देता है और किसी से हम उम्मीद लगाते है, मायने ये रखता है हमसे
उम्मीद कौन लगाता है और हम उसके द्वारा लगाये गये उम्मीद में कितने खरे उतरते है !
क्युकी
उम्मीद का टूटना इन्सान के बिखरने का प्रमुख कारण है !
कई
बार हम उम्मीद से ज्यादा निराश होते है।
निराशा
की वजह कुछ भी हो सकती है पर मन मे मुसीबत उम्मीद से ज्यादा होती है।
फिर
फिर
क्या जब चारो ओर हमें सिर्फ निराशा ही हाँथ लगे और हम परेसान होकर कुछ भी न कर
पाने की हैशियत से बैठे हो ।
और
फिर तभी हमारे कान में आकर धीरे से हमारा खुद का जमीर कहे कि "आप के साहस में आज ऐसी कमी
क्यों है और आप अपने लक्ष्य को पाने में देरी क्यों कर रहे है आप मे साहस है ध्यान
है और आप अच्छे से अपना काम पूरा कर सकते है"
तब
जगती है हमारी उम्मीद ।
फिर
तो बस इंसान को एक उम्मीद मिल जाये, फिर वह वास्तव में बहुत कुछ कर गुजरने में
सक्षम हो जाता है।
और
स्वाभाविक रूप से इतिहास गवाह है कि इंसान की बड़ी सफलता की चिंगारी उसकी उम्मीद से
ही सुलगती है।
वैसे
हर सफल आदमी के इतिहास में उम्मीदों का टूटना दर्ज होता है या कह सकते है की हर
सफल व्यक्ति की असली सफलता उम्मीदों के टूटने से ही शुरु होती है !!