आरक्षण.....?

देश की समस्या बन चुके आरक्षण की कहानी बड़ी दिलचस्प है।
बस कठिनाई इस बात को समझने में होती है कि आरक्षण कमजोर को मजबूत बनाने के लिए है या फिर कमजोर को मजबूत न बनने देने की साज़िश है।
क्योंकि भूतकाल में जिन निम्न वर्गों के लोगो ने अपनी रौशनी से दुनिया को चकाचौंध किया उन्हें कभी आरक्षण की जरूरत नही पड़ी क्योंकि वो मेहनत पे विस्वास रखते थे अहसान पे नही।
और रही बात हक की तो आरक्षण कोई हक नही होता और न ही इसमें किसी का जन्मजात अधिकार होता है


हा कभी लगा होगा कि निम्न बर्ग के लोगो को भी उठने का अपना दम दिखाने का मौका दिया जाए तो दिया गया
पर दम दिखाना तो दूर उन्हें आरक्षण की बीमारी ने ऐसा लपेटा की अब तो उन्हें उनकी जाति के नाम से बुलाने पर फाँसी भी होना संभव है।
आखिर क्यों निम्न वर्गो में आज भी वही लाचारी वही दरिद्रता भरी पड़ी है क्योंकि आज भी उन्हें भीख मांगना उचित लगता है फिर वो भीख चाहे व्यक्ति विशेष से हो या सरकार से ।
आरक्षण तो एक सुनहरा अवसर था जो निम्नो को निखरने का मौका था पर फिर भी वही बात वही मूर्खता।
आखिर कब तक ये रोना चलेगा आपका बिना क़ाबिलियित के आप शिखर पे बैठने का सपना देखते है । क्या कभी आपकी आत्मा आपको धिक्कारती नही इस भीख और अहसान भारी जिंदगी जीते वक़्त।
आप तो अपने बच्चों को भी अपनी महानता या उपलब्धि की कहानी नही सुना सकते क्योंकि ऐसा तो कुछ अपने पूरे जीवन मे आपने किया ही नही।
क्यों आपकी ज़मीर उस वक़्त मर जाती है जब आपको हर चीज़ फ्री में चाहिए होती है।
आप तो शिखर में भी बैठ कर दरिद्रता का ही उदाहरण पेश करेंगे और करते भी आये है।
जो समाज बिना किसी बजह या समझ के आंदोलन पे उतर जाए वो समाज बुद्धिमान कैसे हो सकता है
आप कंधे से कंधा मिला कर साथ चलना चाहते है और सवर्ण बुद्धिमानो के साथ चलना पसन्द करते है ऐसा नही की आपको मौका नही दिया गया पर अपने कभी उस औसत का परिणाम नही दिया ।
कुछ निम्न वर्गों के ठेकेदारों द्वारा पता चला कि अगर सरकार हमारी मागों को पूरा नही करती तो हम फिर अलग देश स्थापित करेंगे।
अब इन मूर्खो को  कौन समझाए जो हिंदुस्तान से अलग हुआ उसकी हालत कुत्तो से भी बद्दतर हुई है । उदाहरण पड़ोसी देशों में देखे जा सकते है।
पर मुझे लगता है कि अब आरक्षण के समाप्त होने का समय आ गया है क्योंकि अब तो हद ही होने लगी है।
राजनीतिक पार्टियां अपना वोट बैंक के लिए आरक्षण को खींच रहे है और निम्न वर्ग का उपयोग कर रहे है।
पर बात सबसे पेचीदा ये है कि क्या सामान्य वर्ग के लिए कोई आरक्षण की जरूरत नही है या फिर उन्हें ईश्वर ने आरक्षण मुक्त कर के भेजा है।
अब समय भी है और क्रोध भी अब अगर बिना जंग के हारे तो कालिख भी मुह की शर्मिन्दगी नही हटा पाएगी।