अनुशासन.....?


अनुशासित होना अपने आप मे महान कार्य कर लेने के बराबर है।
परन्तु अब अनुशासन के नाम पर लोग व्हाट्सअप और फेसबुक को जरिया बना कर उसमें सक्रिय होना ज्यादा पसंद करते है।
हो सकता है कि ये सब ज्यादा अनुशासित हो परन्तु अनुशासन की परिभाषा ये कभी नही रही।
पर फिर भी हम अनुशासित होने का प्रदर्शन जड़ तक करते है।

हमारे अनुशासित होने या न होने से हमे कोई मतलब नही है परंतु अनुशासन की राय हमसे बेहतर कोई कैसे दे पाएगा।। युग बदल रहा है सोच में पश्चिमी सभ्यता राज़ कर रही है परंतु क्या हम अपने संस्कारों को साथ लेकर उन सभ्यताओं को नही अपना सकते क्या। या अपनाना नही चाहते ।
सच जो भी हो परन्तु जिसने अपनी पहचान को छुपाया और संस्कारों से पीछे हटा मुझे नही लगता कि उसने अपने से जुड़े लोगों को कभी खुश किया ।।।
आत्मा से अनुशासित बनिये दिखावा तो हर कोई कर लेता है पर प्राकृतिक रूप से अनुशासित होने का मजा ही कुछ और है। संस्कार और सभ्यता यही हमारी पहचान है
और ये हमारे अनुशासन से ही दिखाई देती है।।।।