आत्मविस्वास.....?


आत्मविस्वास और अभिमान में एक सूक्ष्म भिन्नता है ।
कब आत्मविस्वास अभिमान में परिवर्तित हो जाये आकलन कर पाना कठिन होता है।
आत्मविस्वास प्रेरणा का स्रोत बन कर कठिनाइयों से मुक्ति पाने का अचूक तरीका होता है
जबकि अभिमान कठिनाइयों को निमंत्रण देकर सर्वस्व नष्ट कर देने की औषधि है।
आकलन कर पाना कठिन है ।

परन्तु आत्मविस्वास का न होना मानव को कहि न कही दुर्बल घोषित करती है इसलिए आत्मविस्वास का होना आवश्यक है ।
लेकिन इतना कि अभिमान में परिवर्तित होने तक आत्मविस्वास कम हो जाये ।
और सचेत होने का मौका मिल जाये।
अन्य की बातों को महत्व दीजिये भले ही वो विरोधी बातें ही क्यों न हो ।
क्योंकि अपनी सफलता और निपुणता हमेसा दुसरो के द्वारा ही अनुमानित की जा सकती है ।
खुद से अनुमान लगाना अभिमान को निमंत्रण देने के समान है।।।