सफलता.....?

जब कार्य की सत्यनिष्ठा कार्य की प्रगति की नियती हो तो सफलता का मिलना स्वाभाविक हो जाता है।
सफ़लता का प्राप्त होना दुनिया के अद्भुत एहसासों का संगम होता है।
परन्तु स्मरण रखना होगा कभी ऐसे लक्ष्य की सफलता का सहायक नही बनना चाहिए जिसमें किसी के सम्मान और विस्वास को ठेस पहुँचे।

क्योंकि ऐसी कोई सफलता सुखद नही हो सकती जिसमे किसी की आह सम्मलित हो।
जब आपकी सफलता के लिए आपसे ज्यादा अन्य  लोग आतुर हो तो फिर सफल होने का असली आनन्द प्राप्त होता है।
हमेशा ऐसे आनन्द लीजिये पर कभी भी किसी का आनन्द मत लीजिये ।