बोली लालकिले की.....?

दुख के साथ बताना पड़ रहा है कि लालकिला अब हमारा नही रहा सरकार ने इसे हाथोंहाथ बेच दिया किसी डालमिया को
ये करुण पुकार विपक्षी दल के मठाधीशों की है।
अच्छा ये विपक्ष होता बड़ा होनहार है
क्या हो रहा क्यों हो रहा किस लिए हो रहा ये कोई महत्व नही रखता इन मठाधीशों को बस विरोध होना चाहिए वो भी कस के ।
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बिना जानकारी के इतनी ऊंचाई में छलांग लगाना है बड़े हिम्मत का काम पर हिम्मत मूर्खता में दिखाना क्या साबित करता है ये तो वही जाने।

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सवाल जिंदगी जीने का नही है.....?

जिसने जीवन मे विशेष काम नही किया वो चाँद की माटी की संरचना बता रहे है।
इसमें हंसी आना स्वाभविक है।
बेच दिया, शर्म की बात है, इन बातों में कोई दम नही है पर फिर भी हो रही क्योंकि ऐसी बातों वही कर रहे है जिन्हें न तो नियम का पता है और न कानून की समझ।
संरक्षित करना सुरक्षित करना इसमें क्या गलत है ।
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क्या टोका टाकी सिर्फ सही कामो में ही सोभा देता है।
और अहम बात आपने क्या इतना खास किया जो आप हवा में बाते करने में गौरवान्वित महसूस कर रहे है।
आपकी भाषा मे - अभी तो लालकिला बिका है अब ताजमहल की वारी है ।
वैसे आप अभी से अनशन या भूख हड़ताल कर सकते है ।
क्योंकि ये आपका हक़ है।

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