विचार.....?


सफल लोगो का कहना होता है कि यदि आपको सफल होना है तो अपने विचार बदलिये।
हलाकि कुछ लोग इस बात को मान भी लेते है और कुछ लोगो को ये बात उतनी ही सही लगती है जितनी तबीज पहन लेने से भूत पास नही आता है बाली बात मे सच्चाई होती है।
पर क्या सच मुच इस बात मे दम है कि विचार बदलने से कयी बाते अपने आप उस दिशा मे आ जाती है जिसको दिशा देने के लिये हमारी दिशाये भ्रमित हो रही थी।
विचार मुख्यतह दो प्रकार के होते है पहला जो हम सोचते है या करते है उससे उत्पन्न होने वाला और दूसरा होता है दूसरो के द्वारा भरा गया ।
दिमाग मे सक्रिय कौन सा है ये बता पाना मुश्किल है क्युकी दूसरा विचार पहले विचार मे कब्जा करता रहता है और अंत मे वो पहले विचार मे परिवर्तित हो जाता है और हमे पता तक नही चल पाता है 
और हम यही सोच लेते है की ये विचार तो मेरे मन का विचार है।
और हम दूसरो को अपना विचार बदलने के आरोप मे कुछ खास बोल भी नही पाते है क्युकी हम भी दूसरो के विचार बदलते रहते है।
और बिलकुल भी जरूरी नहीं कि आपके दिमाक मे आने वाला हर विचार सही ही हो या सकारत्मक ही हो।
अब सोचने वाली बात ये है की आखिर हम क्या करे की हमारे विचार सकारात्मक ही रहे ।
क्युकी सच्चाई तो इसी बात मे है की सफलता की सीढ़ी विचारों से ही बनी होती है।
कोई भी विचार जब मन मे आये तो उस पर विचार किया जाना चाहिए और सोचना चाहिये की इस विचार मे कितना दम है।
क्युकी सफल लोगो को देखकर उनसे चिढने से बेहतर है कि उनसे कुछ सीख ले ।
और हर सफल व्यक्ति की सिर्फ एक ही राय होती है की उसने दिमाक के विचारो को रुककर समझा फिर निर्णय लिया।।