बेहतर नज़रिया.....?


चाहे क्षेत्र जो भी हो परन्तु यदि हमे सफलता चाहिये तो नजरिये को बेहतर बनाना ही होगा ।
क्यूकि हमारे लिए ये शौभाग्य की बात है की हम ऐसे युग मे जीवन यापन कर रहे है जिसमे इन्सान अपना नजरिया बदल कर अपनी ज़िन्दगी बेहतर बना सकता है ।

यदि हमारा नज़रिया सकारत्मक है तो मौको को ढूढना नही पड़ेगा क्युकी मौके हमेशा हमारे पास ही होते है बस हम उन्हे पहचान पाएं ।
वैसे भी मौके हमारे दरवाजे जरूर खटखटाते है अब वो हम पे निर्भर करता है की वो हमे शोर तो नही लगते ।
क्युकी जिन्हे मौके की पहचान नहीं होती, उन्हे मौके का खटखटाना शोर लगता है।
इसिलिए सही वक़्त पर सही फैसला लेना आवश्यक है क्युकी गलत वक़्त पर लिया गया सही फैसला भी गलत फैसला बन जाता है।
सिर्फ नजरिया सकारात्मक रखने से यदि हमे कोई नुक्सान नही है तो फिर क्या समस्या है नजरिए को सकारात्मक रखने मे ।
समस्याओ मे उलझ कर नजरिए को बदलना भी एक तरह का आपने उपर किया जाने वाला अत्यचार ही है क्युकी हर समस्या आपने साथ आपने बराबर का या उससे भी बड़ा अवसर साथ लाती है।
जब आप अपना नजरिया बेहतर कर लेते है तो आपके चेहरे मे एक अलग ही मुस्कान आ जाती है मतलब अब आपको नकली मुस्कान भी बिखरने की जरूरत नही है।
वैसे भी आजकल लोग नकली मुस्कान को पहचान जाते है और अगर मुस्कान सच्ची न हो, तो उसे देख कर चिढ़ पैदा होती है।
हमेशा खुद को बेहतर बनाने के लिए काम करिये क्युकी बेहतर इन्सान बनने के लिए अधिक दिमाक की जरूरत नही होती या फिर ये कह सकते है की यदि आप बेहतर इन्सान है तो आपकी दिमाक खुद ब खुद अधिक हो जायेगी।
हमेशा ऐसी शिक्षा पर जोर दीजिये जो हमे केवल रोजी रोटी कमाना नही बल्कि जीने के भी तरीके सिखाये।
और यदि आप अपना नजरिया सकारात्मक कर लेते है तो यकीनन आप उस बारहमासी फल जैसे हो जाते है जो हर मौसम मे फल देता है।
याद रखे आपका नजरिया नकारात्मक से सकारात्मक होने मे काफी समय भी लग सकता है और दिक्कत भी हो सकती है क्युकी इन्सान का स्वभाव आमतौर पर बदलाव विरोधी होता है।
धोखे से भी यदि हमारा नजरिया नकारात्मक है तो हमारी ज़िन्दगी सीमाओ मे कैद है।
शायद शुखद अहसास हो एक बार अजमा के देखने मे क्या बुराई है।।।।