आकर्षण का नियम .....?




आकर्षण के विषय में पहले ही कई किताबो में विद्वानों द्वारा लिखा जा चुका है, हमने कई किताबो में आकर्षण के नियम की कई सारी परिभाषाये उदहारण सहित पढ़ी भी है !
जब हमने सारी पढ़ीं हुई किताबो का सार निकाला तो पाया की हमारी सोच ही हमारे आकर्षण का प्रमुख नियम है, क्युकी जो हम सोचते है शत प्रतिशत वही होता है ! अब इसे प्रकृति का नियम कहे या फिर अपनी सोच का जादू!

क्युकी यदि हम हमेशा बिमारी के विषय में सोचते है तो हम बीमार हो जाते है और कई लोग होते है जो अमीर बनने का सोचते है और वो अमीर बन जाते है,क्युकी जो हम सोचते है उसका उत्तर ब्रम्हाण्ड द्वारा या कहे ईश्वर द्वारा दिया जाता है! अब वो हम पे निर्भर करता है हम क्या सोचते है, और ब्रम्हांड या ईश्वर से क्या चाहते है !!
और कमाल की बात है हम जैसा सोचते है वैसी सोच वाले लोग भी हमे आसानी से मिल जाते है क्युकी आकर्षण हमेशा एक ही तरह की विशेषताओ वालो में होता है !
हमारा आकर्षण हमेशा हमारी सोच पर निर्भर होता है इसलिए मुझे लगता है अपनी सोच पर काबू पाने वाला व्यक्ति आकर्षण को समझ सकता है और जीवन के उन पहलुओ को भी खुलकर जी सकता है जिसे नकारात्मक विचार वाले अपनी स्वम की सोच की बजह से खो देते है, और जब सोच में सकारात्मक विचार रहेंगे तो जायज है चेहरा भी उसी को प्रदर्शित करेगा और यकीनन आकर्षित लगने से कोई नही रोक सकता है !!
वैसे जहाँ तक मेरा मानना है तो ख़ुश रहने में या अच्छे विचार रखने में कोई विशेष बुराई नही है, पर ये भी तो एक सोच का जादू है !!
                                                    



                                           


                                                                                  कमलनयन मिश्रा




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