lockdawn में लोग
गाँव की
तरफ इस
कदर भाग
रहे है
जैसे गाँव
गाँव न
हुआ
lockdawn की दवा
हो गया
हो और
मजा इस
बात से
बात से
आता है
की सबसे
पहले गाँव
में सरेंडर
भी वही
हुए है
जिनको गाँव
में रहना
या फिर
गाँव के
लोगो से
बात करना
देहातीपन या
ग्रामीण स्वाभाव
लगता था
| कोरोना है
तो बड़ी
गज़ब की
चीज़ साहब
बड़े से
बड़े लोगो
को भी
गाँव की
याद दिला
दिया |
कमलनयन मिश्रा
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