विश्वास.....?

आँखों पर ऐसी पट्टी जो विचार का भाव ही उत्पन्न न होने दे और लगातार यकीन को ही सर्वथा सहमति दे उसे ही हम विश्वास कहते हैं।
जरूरी नही की विश्वास हमेशा विजयी रहे अधिकतम वह पराजित ही होता है ।

परन्तु जिंदगी की राहें इतनी आसान हो ये आवश्यक नही। निःस्वार्थ विश्वास असफल हो सकता है परंतु खत्म नही। 
अकारण विस्वास भी कभी कभी कष्ट का कारण बन जाता है ।
यकीन उचित होता है परंतु बिना समझे और जाने किसी भी बात पर यकीन करना उचित नही होता है ।
जरूरी नही की हम जो सुन रहे है वो सत्य ही हो कभी कभी सुनी हुई बाते असत्य भी साबित हो जाती है।
विस्वास भी बिस्वास हो तभी विस्वास करिये अन्यथा परिणाम हितकर हो आवश्यक नही। पर विश्वास ईस्वर से हो तो आपकी सफलता तय है।।