कर्तव्य.....?


आज समाज और परिवार को एक ऐसी डोर बांध के रखी है
जिसमे हर कोई अपना सहयोग बखूबी निभाता है और वो है कर्तव्य।
कुछ अपबाद मौजूद होते है जो कर्तव्य की सत्यनिष्ठा को कलंकित कर देते है।

पर समाज आज भी कर्तव्यनिष्ठ लोगो की बजह से अपना अस्तित्व कायम रखने में सफल है
माँ बाप की सेवा करना हो या बुजुर्गो को सम्मान करना हो सब हमारे कर्तव्य की ही पहल होती है।
और वास्तव में जिसने भी अपने कर्तव्य को मन से स्वीकार किया उसे समाज में एक अलग ही जगह प्राप्त हुई।
क्यों हम अच्छे कामो को अपना कर्तव्य नही समझ पाते है
और क्यों हम अपने कर्तव्यों से बिमुख हो जाते है।
क्या जरूरी नही हमारे लिए अच्छे कामो को अपना कर्तव्य बना लेने की।
या फिर वास्तव में हम इतने मतलबी हो चुके है कि हमे कर्तव्य से कोई विशेष लेनदेन नही है।
कर्तव्य हमे कुछ गलत नही सिखाता और न ही हमे विवश करता कोई अनैतिक कार्य करने के लिए हम जो भी करते है उसके जिम्मेदार हम खुद होते है।
बल्कि इसके विपरीत कर्तव्य ही होता है जो हमे सिखाता है उचित राहो में चलना । 
दुनिया का महान कर्तव्य होता है माँ बाप द्वारा दिये गए ज्ञान का अनुशरण करना क्योंकि मां बाप भले ही अनपढ़ हो पर बच्चों को दुर्लभ व महत्वपूर्ण ज्ञान एवं शुरुआती शिक्षा तो सिर्फ मां बाप से ही प्राप्त होता है।