महागठबंधन.....?


काश ये महागठबंधन आतंकवादियों को उनकी औकात याद दिलाने के लिए होता तो कितना गर्व होता देश को और देश में रह रहे लोगो को।
पर अफ़सोस....
अपने देश के ही नागरिक को हराने में लगी राजनीतिक सत्ता पार्टियों की नमक हरामी तो देखिए साहब।
पर दोष ज़रा सा भी नहीं है
अन्य विरोधी पार्टियों का क्यो की खुद के मूर्खता का प्रमाणपत्र हमने तब से लेकर आज तक सम्भाल कर रखा है और हर चुनावी दौर में हम मूर्खता का परिचय भी देते आये है।
आज से कुछ समय पूर्व सत्ता पे बने रहने या सत्ता की कुर्सी को हथियाने में जो पार्टियां एक दूसरे के विपक्ष में नफरत और कमियों के पुल बाँधा करती थी आज उन्हें सब को एकजुट होते देख कर अखंड भारत की याद आ गयी ।
की किस तरह हमारे देश में एकता बरकरार है कैसे सारी पार्टियां साथ हो रही है
पर
मन खट्टा भी नही होता यदि सामने खड़ी पार्टी देश के हित में काम न कर रही होती।
इस भारत की यही दुर्दशा वर्षो से होती आ रही है और यदि हम बहकावे में आ गए तो भविष्य में भी दुर्दशा ही होनी है।
आखिर क्या वजह है कि आज सभी विरोधी पार्टिया आपस मे भाईचारे का प्रतीक बनती जा रही है वो भी इकलौती राजनैतिक पार्टी को हराने के लिए।
क्या वाकई भारतीय जनता पार्टी भ्रष्ट नेताओं से भरी हुई है या फिर अन्य गिरी हुई पार्टियों को उनके भविष्य को लेकर चिंता है।
बजह कुछ भी हो परन्तु मैं आज किस बात पे भरोसा कर लूं अन्य राजनैतिक पार्टियों पर।
क्योंकि आज जिनका महागठबंधन हुआ है पिछले दिनों वो एक दूसरे के सबसे खास और करीबी विरोधी थे और खुलकर विरोध और कमियों को जाहिर करते थे किंतु आज प्रेम और एकता का प्रतीक बनना चाह रहे हैं तो क्या वो पहले फ़रेबी थे या अब फ़रेब में गोता लगाने की सोच रहे है।
जिस दिन देश के पढेलिखे लोगो को ये बात समझ मे आ गयी असल मे उसी दिन से अन्य विरोधी पार्टियों का पतन सुरु हो जाएगा क्योंकि जो आज हम सब के हित को लेकर काफी आगे आ रहे है क्या वो कुछ सालों पहले कोमा में चले गए थे या फिर इन कुछ सालों में हमसे सब कुछ छीना गया है।
देश मे पहली बार कोई ढंग का प्रधान सेवक आया है जो बोलता भी है और करता भी है
और उसकी यही आदत आज देश की अन्य राजनीतिक दलों का खाना पानी बन्द कर रही है।
तो उनका एक होना लाज़मी भी है ।
आज का दौर बीते दौर से अच्छा है बस यही दौर भविष्य में भी दौड़ लगता रहे।
मुझे खुशी होती है आज देश के प्रधान सेवक पर क्योंकि देश की बागडोर आज देशी हाँथ में है और मैं तो कभी नही चाहूंगा कि अब वो कभी विदेशी हाँथ में जाये।
विपक्ष का फड़फड़ाना जायज है परंतु इसका मतलब ये तो नही की भीख मांगने पर हम भिखारी को सारी सम्पति दान में दे दें।
माफ करियेगा पर भिखारी से अच्छा कोई शब्द नही मिला मुझे विपक्ष के लिए।