देश अंधाधुंध तरक्क़ी कर रहा है लिखित रूप से पर भिखारियों की स्थिति आज भी वही है ।
भगवान के नाम पे दे दे और भगवान तुझे हमेशा खुश रखेगा का नारा आपको हर गली चौराहे पर सुनाई देगा।
भगवान के नाम पे दे दे और भगवान तुझे हमेशा खुश रखेगा का नारा आपको हर गली चौराहे पर सुनाई देगा।
भीख मांगने वाले अधिकतम शारीरिक रूप से स्वस्थ और काम करके खाने में सक्षम होते है परन्तु व्यवसाय के नाम पे भीख मांगना नौकरी करने से बेहतर होता है।
हो सकता है ये भी हड़ताल का हिस्सा हो क्योंकि प्रधानसेवक जी ने रोजगार देने का वादा किया था परन्तु रोजगार तो दिया नही और हम सब मिलकर रोजगार पैदा करे इसके लिए तो हम सब पैदा ही नही हुए।
खैर राजनीतिक मापदंडों से हमे क्या लेनादेना हमारा काम तो भिखारियों को भीख देकर उन्हें काम न करने पर मजबूर करना है।
आजकल के भिखारी भी स्मार्ट हो गए है पैसे तभी मागेंगे जब आप किसी महिला मित्र के साथ खड़े हो या फिर किसी अपने नीचे पद के कर्मचारी के साथ ।
फिर तो आप के पास भले ही ऑटो से जाने का पैसा शेष बचे या न बचे पर भिखारी को तो देना ही पड़ेगा क्योंकि वहाँ पर आपकी इज्जत का सवाल है और हाँ ध्यान रहे चिल्लर देने पर भिखारी आपको आपके पिता जी या फिर बॉस से भी ज्यादा फटकार लगा सकता है।
कुछ मामलों में तो भिखारी आपको भीख तक देने का ऑफर दे सकता है इसलिए भले ही आपके पास पैसे हो या न हो पर महिला मित्र के सामने भिखारियों से पंगा कभी मत लेना क्योंकि पहले ये भिखारी आपको अपने स्तर तक गिरांएगे फिर आपको अपने अनुभव से पीटेंगे।
अब तो भीख मांगने के कई नए तरीके भी भी मार्केट में आ गए है ।
भीख मांगने का सबसे नया तरीका तभी अपनी रंगत दिखाता है जब गोद में एक छोटा बच्चा हो और उसकी उम्र कुछ महीनों की हो फिर तो भीख दुगनी हो जाती है।
बच्चे के नाम पे तो भीख मांगना आजकल भिखारियों का फैशन सा बन गया है।
देश विकाश के रास्ते पर सरपट दौड़ रहा है आवास योजना पे ऐसे घर बन रहे है कि आभाष होता है कि आने वाले दिनों में सिर्फ आवास योजनाओं की इमारत ही बस दिखेगी शहर में परन्तु भिखारियों को तो भीख मांगने के लिए घर का भी परित्याग करना पड़ता है रोड के किनारे आशियाना बना कर वही बच्चे पैदा कर भीख मांगने का चलन जो सक्रियता पर है।
ऐसी बाते करना देश के हित में भले ही न हो परन्तु भीख देकर मुस्कन्डो को अपंग बनाना देश की दुर्दशा का प्रतीक है।
किसी राजनेता बस के चाहने से देश तरक्की नही कर सकता क्योंकि देश हमसे चलता है और हम तो अपनी इज्जत भिखारियो को भीख देकर बड़ी करना चाह रहे है।
फिर कैसे होगा विकास।
मुझे समझ है कि हर भीख मांगने वाला बदमाश नही है पर कुछ तो है ना तो क्या हम इन कुछ को भी अनदेखा कर दे।
हमे यदि ईश्वर ने इस काबिल बनाया की हम दान करे तो हम दान जरूर करे पर उनको जिनको जरूरत हो जो कि कमा पाने में असमर्थ हो ।
और यदि कभी उन भिखारियो से सामना हो जाये जो कमा कर खाने में समर्थ हो उनको भीख के बदले सीख देना कभी मत भूलना।।।।