।। डिप्लोमा ।।



कइउ साल के मेहनत कई के जब डिप्लोमा पाय गयन, 
सही बताई उहै दिना से अपनेन मन मोटियाय गयन।। 
अबे रहेन हम खुला सांड अस अब दबे पांव म आय गयन, 
सलगे जन के कहे मुताबिक हमहुँ चले कमाय गयन।। 
कइउ साल के मेहनत कई के जब डिप्लोमा पाय गयन।। 

अब लए डिप्लोमा सलगी ऑफिस पूरा दिन फेफ़ियाय गयन, 
जेसे पूछी उहय कहै की काहे खातिर आय गयन।। 
अपनेउ मन के सलगा दुख हम पेलामपेल बताय गयन, 
बाबू वाली डियूटी लेका हमहू शहर मा आय गयन।। 
कइउ साल के मेहनत कई के जब डिप्लोमा पाय गयन।। 

हमरेंन गांव कइत के मिलिगें होइ हमहू ता साथ गयन, 
बड़े अफीसरन के कामन का हमहुँ मन मा जान गयन।। 
सलगे गाँव के सुनि के हल्ला अउ अब देखि चौआय गयन, 
बने अफीसरन के कामन का देखि के हम थर्राय गयन।। 
कइउ साल के मेहनत कई के जब डिप्लोमा पाय गयन।। 

फैक्ट्री माही काम करय का उठि भिनसारे धाय गयन, 
बाबू वाला सलगा सपना हमहुँ मन मा विसराय गयन।। 
किहेन काम जब सलगा दिन एक बात तबै हम जान गयन, 
डिग्री डिप्लोमा सब रखि हम गांव कइत का भाग गयन।। 
कइउ साल के मेहनत कई के जब डिप्लोमा पाय गयन।।

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